जिला अपर सत्र न्यायधीश कोर्ट मे पेश अग्रिम जमानत आवेदन को किया निरस्त

 

जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट में पेश अग्रिम जमानत आवेदन को न्यायालय ने किया निरस्त

 

सूरजपुर जिले के प्रेमनगर स्थित वृन्दावन मे र्रीपामद की राशि हड़पने के मामले मे,

 जिला सत्र न्यायालय सूरजपुर के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश (एफ. टी.एस.सी.) सूरजपुर कोर्ट में पेश अग्रिम जमानत आवेदन में सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय ने पुलिस के कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए जमानत आवेदन को अस्वीकार कर निरस्त किया है,

 

थाना प्रभारी प्रेमनगर के द्वारा 10 वर्ष से उपर एवं आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध जिसमें कि 15 लाख रूपये का गबन होने से आर्थिक अपराध की श्रेणी में होते हुये भी आरोपीगणों को चेकलिस्ट पर छोड़ा गया है

 जो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप नहीं होना प्रकट होता है। 

 माननीय न्यायालय ने जमानत आवेदन की एक प्रति महानिरीक्षक अम्बिकापुर एवं पुलिस अधीक्षक सूरजपुर को इस निर्देश के साथ प्रेषित किया है कि संबंधित थाना प्रभारीयों एवं चौकी प्रभारीयों को यह निर्देशित करें कि वह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित न्यायदृष्टांत सतेन्द्र कुमार अंटिल विरूद्ध दिये दिशा निर्देशों के अनुरूप ही चेकलिस्ट का प्रयोग करते हुए संबंधि आरोपी को जमानत का लाभ विशिष्ट करण उल्लेखित करते हुये ही प्रदान करें। 

मामला थाना प्रेमनगर में दर्ज अंतर्गत से संबंधित है।

 छ०ग० शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय द्वारा दिये गये निर्देश के परिपालन में ग्राम पंचायत वृदावन में 05 नग वर्किंग शेड का निर्माण कार्य हेतु ग्राम पंचायत वृदावन को निर्माण ऐजेंसी बनाया गया था.

 किन्तु ग्राम पंचायत द्वारा स्वय कार्य न कराकर निर्माण कार्य को ठेकेदार के माध्यम कराया जा रहा था।

 आरोपीगणों द्वारा उच्च अधिकारियों को बिना सूचना दिये

, बिना प्रस्ताव पारित के ग्राम पंचायत के खाते से 15 लाख रूपये गबन कर लिया गया।

 15 लाख रूपये के आर्थिक अपराध में थाना प्रभारी प्रेमनगर द्वारा आरोपीगणों को चेकलिस्ट पर छोड दिया गया था

, जबकि आरोपित अपराध 10 वर्ष से उपर या उम्र कैद की सजा से दण्डनीय है

   उल्लेखनीय है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार यदि किसी आरोपी को चेकलिस्ट पर छोड़ा जाता है तो उसे न्यायालय के समक्ष या संबंधित पुलिस अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होने बाबत् नोटिस दिया जाना आवश्यक है।

 माननीय न्यायालय द्वारा अपने आदेश में यह भी उल्लेखित किया गया है कि चेकलिस्ट निरस्त होने के बाद भी थाना प्रभारी प्रेमनगर द्वारा आरोपीगणों को गिरफ्तार करने हेतु आज तक कोई सार्थक प्रयास नही किया गया है 

जो कि निश्चित तौर पर आरोपीगणों को बचाने का प्रयास होना प्रकट होता है।

Aashiq khan
Author: Aashiq khan