पारंपरिक खेती छोड़ परिमल ने शुरू की गेंदे के फूलों की खेती, बंपर उत्पादन से दुगुनी हुई कमाई सफल बागवानी करने उद्यानिकी विभाग से मिली मदद

अम्बिकापुर ब्यूरो 

अम्बिकापुर के चठिरमा निवासी परिमल व्यापारी गेंदे के फूलों की खेती कर रहे हैं। पारंपरिक खेती की तुलना में बागवानी या फूलों की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।

 

उन्नत किसान के रूप में परिमल का जीवन इन फूलों की ही तरह महकने लगा है।

परिमल बताते हैं कि वो तीन वर्षों से गेंदे की खेती कर रहें हैं।

शुरुआती दो वर्ष में जानकारी के अभाव में उनकी आमदनी कम होती थी, तब उन्होंने उद्यानिकी विभाग से सम्पर्क किया।

विभाग के द्वारा उन्हें वर्ष 2024-25 में राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत 1280 पौधे एवं 6400 रुपए की अनुदान सहायता राशि प्राप्त हुई।

इसके बाद विभाग की मदद एवं सलाह से उत्पादन में वृद्धि हुई।

उन्होंने बताया कि उन्हें ड्रिप पद्धति से खेती की जानकारी दी गई, समय-समय पर दवा के छिड़काव सहित अन्य उपायों के बारे में भी बताया गया।

 

बंपर उत्पादन से हुई दुगुनी कमाई-

परिमल बताते हैं कि गेंदे की खेती से महज तीन माह में ही आमदनी मिलनी शुरू हो जाती है। वे एक वर्ष में 2 सीजन में खेती करते हैं,

उन्होंने अपने 0.400 एकड़ रकबे में गेंदा लगाया है। पहले प्रति सीजन मात्र 15 से 20 हजार तक होने वाली कमाई अब विभागीय सहायता के कारण 45 से 50 हजार तक हो जा रही है।

तीज-त्यौहारों के समय तो मांग बढ़ने से आमदनी और बढ़ जाती है।

 

लागत में कमी के साथ पानी की भी होती है बचत-

इससे पहले वे पारम्परिक खेती करते थे, जिसमें लागत अधिक था। वहीं पानी की खपत भी अधिक थी, बेमौसम बारिश एवं अन्य आपदाओं के कारण नुकसान का डर बना रहता था।

फूलों की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देती है। किसी भी प्रकार की समस्या होने पर हम उद्यानिकी विभाग से भी सम्पर्क कर लेते हैं

Aashiq khan
Author: Aashiq khan