अम्बिकापुर ब्यूरो
राज्य में खुले में चराई कर रहे पशुओं के नियंत्रण और उनसे खरीफ फसलों की सुरक्षा के लिए इस वर्ष भी रोका-छेका का अभियान शुरू किया गया है।
रोका-छेका छत्तीसगढ़ की पुरानी पंरपरा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर इसे अभियान के रूप में राज्य में शुरू किया गया है,
जिसके उत्साहजनक परिणाम मिले हैं। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में चालू वर्ष के दौरान यह अभियान पुनः चलाया जा रहा है।
रोका-छेका अभियान का मुख्य उद्देश्य फसलों को चराई से बचाना है।
जिले के गौठानों में संगोष्ठी एवं शिविर आयोजित कर पशु पालकों द्वारा पशुओं को खुले में ना छोड़ने की समझाईश दी जा रही है। साथ ही पशुओं को पशु आवास में बांधने एवं गौठान में लाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
जिले के गौठानों में बहुउद्देशीय पशु चिकित्सा शिविर आयोजित कर पशुओं का उपचार, औषधि वितरण, टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान आदि कार्य किये जा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने की मंशा से चारा विकास कार्यक्रम अन्तर्गत नेपियर रोपण हेतु ग्राम गौठान समितियों को प्रेरित किया जा रहा है।
पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक ने बताया कि 06 जुलाई 2023 से शुरू हुए इस अभियान के तहत जिले के गौठानों में अब तक कुल 68 शिविर आयोजित किये जा चुके हैं।
शिविरों के माध्यम से 800 से अधिक पशुओं का उपचार एवं औषधि वितरण किया गया है।
साथ ही 70 हजार से अधिक पशुओं में विभिन्न पशु रोगों से संबंधित टीकाकरण किया जा चुका है।
रोका-छेका अभियान से हजारों की संख्या में पशु पालक लाभान्वित हो रहे हैं।जिला प्रशासन एवं पशुधन विकास विभाग द्वारा पशुपालकों से अधिक से अधिक संख्या में रोका-छेका अभियान में भाग लेने हेतु आह्वान किया गया है।
