जमाने से वोट देती आ रही हूँ, आज क्यों छोड़ू- 95 वर्षीय श्रीमती अरुंबतिया सारथी

कोरिया नीरज साहू 17 नवम्बर पान खाने के लिए बाइक, बाल कटवाने के लिए बाइक चाहिए! इन्हें दुपहिया न मिले तो आज के युवा नाराज हो जाते हैं। लेकिन हम तो जमाने से वोट देते आ रहे हैं, कभी पैदल आते थे, तो कभी सायकल से। अपनी लड़खड़ाती जुबान से 95 वर्षीया श्रीमती अरुंबतिया ने कही। किसी ने मुझ से कहा इतनी उम्र में वोट डालने जाएगी तो उन्होंने कहा जमाने से वोट डाल रही हूँ, इसीलिए आज भी वोट डालने आई हूँ।
इसी तरह 90 वर्षीय कटवारी ने कहा तन से जरूर कमजोर हो गया हूँ, मन से नहीं हूँ। इसीलिए वोट देने आया हूँ।
सचमुच इन बुजुर्गों की जज्बा को देखकर हर मतदाता इनसे प्रेरणा ले सकते हैं और लोकतंत्र की इस महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं।

neeraj kumar sahu
Author: neeraj kumar sahu

जिला प्रतिनिधि कोरिया

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